भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर, भारतीय जनमानस के हृदय में राष्ट्रभक्ति की ज्वाला प्रज्वलित करने वाला गीत “तू काहे का मालिक है” आज जी म्यूज़िक के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर जारी किया गया। यह गीत निर्देशक उमेश भारद्वाज द्वारा निर्देशित और वी.एन.एफ फिल्म्स द्वारा निर्मित ऐतिहासिक फ़िल्म “1857 डायरी: द हिडन पेजेस” का सशक्त और प्रेरणादायी प्रस्तुतीकरण है। यह गीत 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की उस अजेय हुंकार को पुनर्जीवित करता है, जिसने विदेशी सत्ता की नींव हिला दी थी। इसमें गूँजता है वह अमर स्वर- “जिसने अंग्रेज़ों की नींद हर ली… और भारतवासियों के हृदय में स्वधर्म व स्वराज्य की ज्योति प्रज्वलित की।” गीत का महत्व: यह केवल एक संगीत रचना नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक आह्वान है। यह गीत हमें याद दिलाता है कि जब सम्पूर्ण भारत एकजुट होकर अत्याचार का सामना करता है, तो अदम्य साहस और त्याग की शक्ति जन्म लेती है। यह बलिदान की स्मृति को जीवित कर हर भारतीय के भीतर राष्ट्रप्रेम की ज्वाला को पुनः प्रज्वलित करता है। गीत की विशेषता: गीतकार महेंद्र आर्य की रचना को अपनी भावपूर्ण आवाज़ से संदीप बनर्जी, कृष्णा बेउरा और स्वयं महेंद्र आर्य ने जीवंत किया है। इस गीत को आत्मा तक पहुँचाने वाला संगीत प्रदान किया है प्रतिभाशाली संगीतकार ध्वनित जोशी ने। फ़िल्म और टीम का संदेश: इस अवसर पर वी.एन.एफ फिल्म्स ने समस्त देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएँ दीं और विश्वास व्यक्त किया कि यह गीत विशेषकर युवा पीढ़ी को एकता, साहस और देशभक्ति के मार्ग पर प्रेरित करेगा। गीत की रिलीज़ ने दर्शकों में फ़िल्म को लेकर उत्सुकता को और चरम पर पहुँचा दिया है। कलाकारों और तकनीकी टीम में भी गर्व और प्रसन्नता की लहर है। ऐतिहासिक पलों और अदम्य आत्मबल को दर्शाती यह फ़िल्म शीघ्र ही देशभर के सिनेमाघरों में प्रदर्शित होने जा रही है।
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर मुंबई के जुहू स्थित जागृति ऑडिटोरियम - मीठीबाई कॉलेज एक ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बना। लायंस ग्रुप ऑफ़ बॉम्बे मिलेनियम के तत्वाधान में आयोजित भव्य सांस्कृतिक संध्या में फ़िल्म “1857 डायरी: द हिडन पेजेस” के बहुप्रतीक्षित गीत “तू काहे का मालिक है” का गौरवशाली लोकार्पण हुआ। कार्यक्रम में लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 323A3 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर लायन मनोज बाबुर, फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर लायन नटवर बांका, सेकंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर लायन विकास सर्राफ, फ़िल्म के निर्देशक उमेश भारद्वाज, संगीतकार ध्वनित जोशी, गीतकार महेंद्र आर्य सहित अनेक विशिष्ट हस्तियाँ उपस्थित रहीं। भावनाओं से सराबोर इस संध्या में हर श्रोता के मन में मातृभूमि के प्रति समर्पण और गर्व की भावना उमड़ पड़ी। इस अवसर पर अनेक गणमान्य अतिथि एवं सैकड़ों दर्शक उपस्थित रहे। गीत का सार: “तू काहे का मालिक है” मात्र एक गीत नहीं, बल्कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की अमर हुंकार का जीवंत स्वरूप है। इसकी पंक्तियाँ वह आह्वान हैं, जिसने अंग्रेज़ी सत्ता की नींव हिला दी और करोड़ों भारतीयों के हृदय में स्वधर्म और स्वराज्य की अग्नि प्रज्वलित की। यह गीत हमें याद दिलाता है कि जब भारतवासी एकजुट होकर उठ खड़े होते हैं, तब इतिहास बदलता है। यह गीत स्वतंत्रता के उन शूरवीरों का वंदन है, जिनके त्याग और बलिदान ने आज़ादी के सूरज को जन्म दिया।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की सबसे प्रेरणादायक और छुपी हुई गाथाओं को उजागर करने वाली फिल्म “1857 डायरी: द हिडन पेजेस” का एक वीर रस से ओतप्रोत युद्ध गीत - “अखंड खंड-खंड है” - शीघ्र ही राष्ट्र के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
इस गीत के माध्यम से दर्शाया गया है कि कैसे हमारा अखंड भारत समय के साथ खंड-खंड होता चला गया - कभी विदेशी आक्रमणों से, तो कभी आपसी वैमनस्यता से। किन्तु 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम एक ऐसा अद्वितीय क्षण था, जब देश ने धर्म, संस्कृति और स्वराज्य की रक्षा के लिए एकजुट होकर अंग्रेज़ी सत्ता को चुनौती दी।
इस गीत को लिखा है भारत के प्रतिष्ठित गीतकार समीर अंजान ने, और इसमें स्वर दिए हैं ऊर्जावान गायक दिव्य कुमार ने। संगीत निर्देशन किया है रोहित कुलकर्णी ने, जिन्होंने वीर रस के अनुकूल संगीत रचना कर इसे जन-जन में ऊर्जा भरने वाला बना दिया है।
फिल्म के निर्देशक उमेश भारद्वाज और निर्माण संस्था VNF FILMS ने इस गीत के प्रति विशेष समर्पण भाव दिखाते हुए इसे एक भावनात्मक और ऐतिहासिक दस्तावेज़ का रूप दिया है। गीत में दिखाया गया है कि कैसे अंग्रेज़ों की विशाल सेना के विरुद्ध संगठित भारत ने, विशेषतः संतों-सन्यासियों के मार्गदर्शन में, एक अभूतपूर्व प्रतिरोध खड़ा किया।
नाना साहब और तात्या टोपे की भूमिकाओं में क्रमशः गौरव शर्मा और हितेश शर्मा का अभिनय युद्ध के दृश्यों को जीवंत बना देता है। वहीं रानी लक्ष्मीबाई की भूमिका में उल्का गुप्ता अपने अभिनय से इतिहास को मानो पुनर्जीवित कर देती हैं। युद्ध दृश्यों का संयोजन किया है अनुभवी एक्शन मास्टर रतन बोस ने, जिन्होंने ऐतिहासिक यथार्थ और सुरक्षा का अद्वितीय संतुलन बनाया।
यह गीत न केवल एक फिल्मी प्रस्तुति है, बल्कि यह एक राष्ट्रचेतना का शंखनाद है, जो भारत को उसके स्वधर्म, स्वराज्य और सांस्कृतिक आत्मा से जोड़ता है।
Zee Music द्वारा जारी, उमेश भारद्वाज द्वारा निर्देशित “1857 डायरी: द हिडन पेजेस” फिल्म का नया गीत “चलो कुंभ की ओर”, प्रयागराज महाकुंभ की आध्यात्मिकता और भारत की सांस्कृतिक विरासत को अद्वितीय अंदाज़ में प्रस्तुत करता है। भारत के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गौरव के अद्वितीय प्रतीक प्रयागराज महाकुंभ की पावन छटा इस समय सम्पूर्ण विश्व का ध्यान आकर्षित कर रही है। इसी पृष्ठभूमि में, Zee Music ने आगामी ऐतिहासिक फीचर फिल्म “1857 डायरी: द हिडन पेजेस” का एक प्रेरणादायक गीत “चलो कुंभ की ओर” जारी किया है। इस गीत को अपनी स्वर्णिम आवाज़ से अमर गायक उदित नारायण ने सजीव किया है। गीतकार महेंद्र आर्य के शब्दों में कुंभ के दिव्यत्व, साधु-संतों की तपश्चर्या और सनातन संस्कृति की भव्यता की झलक है, जबकि संगीतकार रोहित कुलकर्णी ने इसे अध्यात्म और राष्ट्रीय भावना के संगम से सजाया है। गीत का फिल्मांकन ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है — यह हमें वर्ष 1855 के हरिद्वार महाकुंभ में ले जाता है, जहाँ साधु-संतों की महासभा में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध स्वतंत्रता की पहली चिंगारी जली थी। यही वह क्षण था जिसने 1857 की क्रांति की पृष्ठभूमि तैयार की। लेखक-निर्देशक उमेश भारद्वाज और VNF Films के बैनर तले निर्मित यह फिल्म भारत के स्वतंत्रता संग्राम की उन छुपी हुई कहानियों को उजागर करती है, जो इतिहास के पन्नों में कहीं गुम हो गई थीं। “चलो कुंभ की ओर” भारत की सांस्कृतिक विरासत, सामाजिक एकता और राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक है।
12 फरवरी 2024, टंकारा, गुजरात - यह दिन भारत के इतिहास में सदैव स्मरणीय रहेगा। भारत के सांस्कृतिक, वैदिक और राष्ट्रीय पुनर्जागरण के अमर प्रतीक महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200वीं जयंती के अवसर पर, देशभर से श्रद्धालु, विद्वान, संन्यासी और राष्ट्रभक्त एक साथ इस पावन धरा पर एकत्रित हुए। इसी ऐतिहासिक क्षण में, VNF Films के बैनर तले और लेखक-निर्देशक उमेश भारद्वाज के सृजनात्मक निर्देशन में निर्मित ऐतिहासिक फिल्म “1857 डायरी - द हिडन पेजेस” का भव्य और गरिमामय पोस्टर विमोचन सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर योग गुरु स्वामी रामदेव जी और परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती जी की पावन उपस्थिति ने इस क्षण को और भी आलोकित कर दिया। उनके सान्निध्य में यह पोस्टर एक साधारण कलात्मक प्रस्तुति से आगे बढ़कर भारत की संस्कृति, इतिहास और राष्ट्रचेतना का जीवंत प्रतीक बन गया। फिल्म “1857 डायरी - द हिडन पेजेस” भारत के स्वतंत्रता संग्राम के उस अनछुए अध्याय को सामने लाती है, जो 1857 की क्रांति की आधारशिला बना। यह उन अनसुनी और अनकही वीरगाथाओं को उजागर करती है, जिनमें महर्षि दयानंद जी के वैदिक विचारों और क्रांतिकारी चेतना की स्पष्ट गूंज सुनाई देती है। यह पोस्टर लॉन्च केवल फिल्म के प्रचार का मंच नहीं था, बल्कि महर्षि दयानंद जी की शिक्षाओं, आर्य समाज के आदर्शों और वैदिक पुनर्जागरण के संदेश को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का सशक्त माध्यम बना। यह आयोजन उस युग की पुनः स्मृति कराता है, जब धर्म, राष्ट्र, संस्कृति और स्वाभिमान के लिए लोग तन-मन-धन से बलिदान करने में गर्व महसूस करते थे। VNF Films का यह प्रयास सिर्फ एक ऐतिहासिक फिल्म का निर्माण नहीं है, बल्कि भारत की आत्मा को पुनः जाग्रत करने और उन बलिदानों को अमर स्मृति में स्थापित करने का संकल्प है, जिन्होंने स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया।
12 फरवरी 2023, नई दिल्ली - भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण, वैदिक परंपरा और राष्ट्रीय चेतना के महान प्रतीक महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित एक ऐतिहासिक समारोह में, भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने “ज्ञान-ज्योति पर्व” का भव्य शुभारंभ किया। यह गौरवपूर्ण क्षण नई दिल्ली के प्रगति मैदान में, भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित समारोह में सम्पन्न हुआ। यह उद्घाटन केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि भारत के वैदिक ज्ञान, सांस्कृतिक आत्मा और आध्यात्मिक जागरण का राष्ट्रीय उत्सव था। प्रधानमंत्री मोदी जी ने इस वर्षभर चलने वाले जयंती समारोह की शुरुआत करते हुए राष्ट्र को संदेश दिया कि भारत की उन्नति केवल तकनीकी विकास में नहीं, बल्कि अपने प्राचीन ज्ञान, संस्कृति और नैतिक मूल्यों के पुनर्स्थापन में भी निहित है। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री जी ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने समाज सुधार की अलख जगाई और शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, राष्ट्रभक्ति तथा सामाजिक समरसता के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन किए। उनका जीवन एक ऐसी आध्यात्मिक ज्योति है, जो आज भी नई पीढ़ियों को सत्य, स्वधर्म और स्वाभिमान के मार्ग पर प्रेरित करती है। “ज्ञान-ज्योति पर्व” का उद्देश्य महर्षि दयानंद जी के युगद्रष्टा विचारों, आर्य समाज के आदर्शों और वैदिक सत्य की ज्योति को देश-विदेश में फैलाना है। इस पर्व के अंतर्गत पूरे वर्षभर सांस्कृतिक, शैक्षिक और आध्यात्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा, जिनके माध्यम से उनके विचार जन-जन तक पहुँचेंगे। यह भव्य उद्घाटन केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का शंखनाद है — एक ऐसे युग का प्रारंभ, जिसमें आधुनिक भारत अपने गौरवशाली अतीत से शक्ति लेकर आत्मविश्वास के साथ भविष्य की ओर बढ़ रहा है।
भारत सरकार द्वारा महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200वीं जयंती के उपलक्ष्य में जारी स्मारक डाक टिकट का लोकार्पण महामहिम उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ जी ने किया। यह आयोजन राष्ट्र के वैदिक पुनर्जागरण और सामाजिक चेतना के अग्रदूत को एक कृतज्ञ नमन था। 15 दिसंबर 2024, नई दिल्ली - भारत के वैदिक पुनर्जागरण, सामाजिक सुधार और राष्ट्रनिर्माण के महानायक महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200वीं जयंती को चिरस्मरणीय बनाने के लिए भारत सरकार ने एक स्मारक डाक टिकट जारी किया। इसका लोकार्पण भारत के महामहिम उपराष्ट्रपति श्री जगदीप सिंह धनखड़ जी के कर-कमलों से भव्य और गरिमामय रूप से सम्पन्न हुआ। यह अवसर केवल एक टिकट विमोचन नहीं था, बल्कि उस महापुरुष के प्रति राष्ट्र की गहन श्रद्धांजलि थी, जिसने अपने जीवन के तप, त्याग और अप्रतिम ज्ञान से भारत को नई चेतना, नई दिशा और नई दृष्टि दी। इस ऐतिहासिक आयोजन में प्रख्यात योग गुरु स्वामी रामदेव जी की उपस्थिति ने समारोह को आध्यात्मिक ओज और प्रेरणा से भर दिया। उन्होंने महर्षि दयानंद को आधुनिक भारत का पथप्रदर्शक और चेतना पुरुष बताते हुए कहा कि उनके विचार आज भी राष्ट्र के लिए पथदर्शक दीपस्तंभ हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती जी का योगदान केवल कुरीतियों से मुक्ति दिलाने तक सीमित नहीं था; उन्होंने ‘स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’ जैसी राष्ट्रीय चेतना को जन्म देने वाली पीढ़ी का निर्माण किया। उनके विचार - सत्य की खोज, वेदों की ओर लौटो, समानता, शिक्षा और आत्मनिर्भरता - आज भी भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण की नींव हैं। यह डाक टिकट केवल एक स्मृति चिह्न नहीं, बल्कि एक जीवंत प्रेरणा है, जो आने वाली पीढ़ियों को यह स्मरण कराएगी कि एक सत्यनिष्ठ व्यक्ति पूरे राष्ट्र की आत्मा को जाग्रत कर सकता है। यह पहल देशवासियों में राष्ट्रभक्ति, गौरव और वैदिक चेतना की नई ज्योति प्रज्वलित करती है।